बहुत याद आता है!
आयोजन: दैनिक विषय आधारित साहित्यिक प्रतियोगिता।
प्रदत्त विषय: स्वैच्छिक
विधा: कविता, भाषा: हिन्दी
प्रकार: स्वरचित एवं मौलिक
शीर्षक: बहुत याद आता है!
हर भूख को पल में शांत करे, यहाॅं हर माँ के हाथों में जादू भरा है।
स्वाद, सुगंध व पोषण का रंग, इनके पकाए हर व्यंजन पे चढ़ा है।
मैं ये सोचूँ क्या साक्षात अन्नदेव, रसोइयों में स्वयं खाना बनाता है?
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
हर दिन, हर पहर, ख़ास व्यंजन, माँ के पास सूचि उपलब्ध रहती।
संतान का मोह, संसार की टोह, माँ दोनों के लिए प्रतिबद्ध रहती।
रसोई से आती खुशबू सूॅंघकर, भूखा हृदय द्वार पे पहुंच जाता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
माता, पिता, गुरु व ईश्वर, हमारी आस्था के यही चार आधार हुए।
पर माता के आगे शेष तीन भी, यों नतमस्तक होने को तैयार हुए।
प्रसाद पाने को स्वयं ईश्वर भी, लम्बी पंक्तियों में खड़ा हो जाता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
इनकी दुआ के प्रताप से ही, ऊसर स्थल भी हो जाता हरा-भरा है।
इनकी दृष्टि में ईश्वर की शक्ति, खोटा भी जिसने कर दिया खरा है।
माँ को दुनिया की हर खुशी दे दूॅं, हर बच्चा तो बस यही चाहता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
बच्चों की हर समस्या के लिए, माँ ने तो निश्चित समाधान दिया है।
हर दुविधा बनने लगी सुविधा, माँ ने हर मार्ग को आसान किया है।
तभी अपने दिल की हर बात, बच्चा सीधे माँ को आकर बताता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
जब-जब अकेला पड़ने लगा, मुझे केवल माँ ने आकर संभाला है।
मेरे मन की शंका के शूल को, माँ ने भली-भांति बाहर निकाला है।
भूख, डर, अकेलेपन में हो तो, हर बच्चा अपनी माँ को बुलाता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
यादों का निश्चित विस्तार है, समय व जीवन कभी ठहरता नहीं है।
गुजरते हैं बहुत सारे वादे, माँ का चेहरा आँखों से गुजरता नहीं है।
पद-प्रतिष्ठा है पर माँ साथ नहीं, आज यह सच मुझको सताता है।
मेरी माँ के हाथों से बना खाना, मुझे आज भी बहुत याद आता है!
©® इंजी. हिमांशु बडोनी "दयानिधि"
जनपद: पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
Insta ID: @himanshupauri1
Shnaya
21-Feb-2024 01:09 PM
Nice one
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Mohammed urooj khan
21-Feb-2024 12:18 PM
शानदार रचना 👌🏾👌🏾
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Feb-2024 09:13 AM
खूबसूरत और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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